भारत के पूर्व में स्थित झारखंड, अपने प्राचीन और समृद्ध जनजाति धरोहर के लिए प्रसिद्ध है। यहां के जनजातियाँ अपने संस्कृति, गीत, नृत्य, और कला में श्रेष्ठता की ऊँचाई को छूने में समर्थ हैं। DesiredPDF.com के इस ब्लॉग (Jharkhand: Unveiling the Rich Tribal Heritage) में, हम झारखंड के उन गहरी गहराईयों में जाएंगे जहाँ हर जनजाति अपनी विशेषता के साथ अपनी आत्मा को बखूबी व्यक्त करती है।
Jharkhand: Unveiling the Rich Tribal Heritage
![map_jharkhand Jharkhand: Unveiling the Rich Tribal Heritage](https://desiredpdf.com/wp-content/uploads/2023/10/map_jharkhand.jpg)
संस्कृति का संगम (confluence of culture)
भारत, एक विविधता और संस्कृति का जीवंत उदाहरण है। यहाँ की विशाल भूमि न केवल प्राकृतिक सौंदर्य से भरी है, बल्कि यहाँ की संस्कृति और जनजाति धरोहर भी विश्वस्त है। झारखंड एक ऐतिहासिक राज्य है, जहाँ संस्कृति की भव्यता और जनजाति की विविधता का संगम होता है।
जनजाति संस्कृति: झारखंड की संस्कृति में जनजातियों का बड़ा योगदान है। मुंडा, हो, संथाल, और उराँव जैसी जनजातियाँ यहाँ के संस्कृति में अपनी ख़ासियत लेकर आती हैं। उनकी वेशभूषा, गीत, नृत्य और वास्त्रलेप यहाँ की संस्कृति को अद्वितीय बनाते हैं।
रेला और गाँव की संस्कृति: झारखंड की संस्कृति में गाँवों का महत्वपूर्ण स्थान है। यहाँ के लोग अपनी पारंपरिक शैली, जैसे कि रेला, संगीत, और नृत्य के माध्यम से अपनी संस्कृति को जीवंत रखते हैं।
पर्व और उत्सव: झारखंड में विभिन्न प्रकार के पर्व और उत्सव हर वर्ष मनाए जाते हैं। सर्वनाश्तिका, तुसू, होरो, और सारहुल जैसे पर्व यहाँ की संस्कृति की अमूर्त भावनाओं को प्रकट करते हैं।
भूमि कला और शिल्पकला: झारखंड में भूमि कला और शिल्पकला का विशेष महत्व है। यहाँ की लकड़ी की काम, सुजना, और विभिन्न आर्ट फॉर्म्स में लोगों की प्रतिभा छुपी है।
संस्कृति में बातचीत: झारखंड की संस्कृति में बातचीत का भी महत्व है। यहाँ के लोग संस्कृति की खास बातचीत में रुचि रखते हैं, जिससे उनकी संस्कृति और भाषा की ख़ासियत बनी रहे।
झारखंड की संस्कृति का संगम हमें हमारे संस्कृति और विरासत के महत्व को समझाता है। यहाँ की रंगीन जनजाति धरोहर हमें भारतीय संस्कृति की अमूर्त प्रकटि में ले जाती है। हमें यह समझना चाहिए कि हमारी संस्कृति हमें विश्व में अद्वितीय बनाती है, और इसे समृद्धि से जीवंत रखना हमारी जिम्मेदारी है।
गीत और संगीत की विरासत (Heritage of song and music)
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झारखंड की जनजातियाँ अपने परंपरागत गीतों और संगीत के लिए प्रसिद्ध हैं। इन गीतों में उनकी भूमि, प्राकृतिक सौंदर्य, और जीवन की विविधता का प्रतिष्ठान है।
भारतीय संस्कृति में संगीत का महत्व अत्यधिक है। यह संगीत हमारी भावनाओं का अभिव्यक्ति स्रोत होता है और विभिन्न राज्यों और क्षेत्रों में अपनी विशेषता बनाए रखता है। झारखंड, जो भारत के पूर्व में स्थित है, अपने गीत और संगीत की विरासत से प्रसिद्ध है। यहाँ के संगीत में विशेष ध्यान देने वाली बात यह है कि यह लोगों की भूमिकाओं, जीवनशैली, और प्राकृतिक सौंदर्य को बखूबी प्रकट करता है।
झारखंडी संगीत की विशेषता (specialty of Jharkhandi music):
1. खोरठा:
खोरठा झारखंड की एक प्रमुख लोक गायन परंपरा है, जिसमें गायन की रचना और संगीत की ढल उदात्तता को बखूबी दिखाती है। यह गीत विभिन्न विषयों पर गाए जाते हैं और लोगों की भावनाओं को सही तरीके से छूने में समर्थ हैं।
2. झुमर:
झुमर एक विशेष प्रकार की झारखंड की लोक गायन प्रवृत्ति है जिसमें लोग विभिन्न उपजातियों में खुशियों और आनंद की भावना के साथ नृत्य करते हैं। इसमें तालमेल की सुखद संगत और प्राकृतिक संगीत की धड़कन महसूस की जा सकती है।
3. छऊ:
छऊ झारखंड का एक अन्य प्रमुख लोक संगीत है, जिसमें उपजातियों के बीच खुशियों के रंग और आनंद की भावना छाई रहती है। छऊ में संगीत की विविधता और रंगीनता हमेशा लोगों को प्रभावित करती है।
4. बिरहा:
बिरहा एक प्रकार का लोक संगीत है जिसमें किस्से और कहानियाँ गाकर सुनाई जाती हैं। यह संगीत लोगों को एक अनूठी कथा सुनाता है और उन्हें गाथा की दुनिया में ले जाता है।
5. ढोलक बाजी:
ढोलक बाजी झारखंड की प्रमुख संगीतिक प्रवृत्ति में से एक है। इसमें ढोलक की तालमेल, तबला की मधुर धुन, और मृदंग की गहराई से संगीत की उत्कृष्टता को दिखाता है।
संगीत की विरासत का महत्व:
झारखंड की इस संगीत की विरासत हमें हमारी संस्कृति की अमूर्त प्रकटि में ले जाती है। यह संगीत हमें भूमि के साथ जोड़ता है और हमारी जीवनशैली को उजागर करता है। इससे हमें अपनी संस्कृति की महत्वपूर्ण भूमिका का आभास होता है और हम अपनी विरासत को समझते हैं, जिसे बनाए रखने का संकल्प करते हैं।
विविध शैली में नृत्य ( Dance in various styles of Jharkhand)
झारखंड के जनजातियाँ अपने विभिन्न नृत्य शैलियों में माहिर हैं। हर नृत्य रंग, रूप, और भावनाओं की गहरी अभिव्यक्ति का प्रमुख उदाहरण है।
भारत, एक विविधता और सांस्कृतिक धरोहर से भरी भूमि है। यहाँ की भूमि न केवल प्राकृतिक सौंदर्य से भरी है, बल्कि यहाँ की शैली में व्यतित नृत्य भी इसे विशेष बनाता है। झारखंड, जिसे ‘संगीन पहाड़ियों’ का राज्य कहा जाता है, यहाँ के जनजाति, लोक कला और संस्कृति द्वारा विभिन्न नृत्य करते हैं।
1. झुमर:
![jhumar dance jhumar dance of jharkhand](https://desiredpdf.com/wp-content/uploads/2023/10/jhumar-dance.jpg)
झुमर नृत्य झारखंड की एक प्रमुख लोक नृत्य शैली है, जो खासतौर पर संथाल समुदाय में प्रमुखता रखती है। यह नृत्य सामूहिक रूप से किया जाता है और इसमें लोगों का सामूहिक नृत्यांग, गायन और वाद्य समाहित होता है।
झुमर नृत्य झारखंड की संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा है जो लोगों की एकता, सामूहिकता और संस्कृति को प्रकट करता है। यह नृत्य विभिन्न खुशी, दुःख, उत्साह और आत्मता की भावना को दर्शाता है, जिससे दर्शकों को भी एक संवाद में ले जाता है। यह नृत्य लोगों के बीच आत्मता की भावना को बढ़ाता है और संस्कृति की अमूर्त प्रकटि के रूप में उभरता है।
झुमर नृत्य झारखंड की विशेष नृत्य परंपरा का एक प्रमुख प्रतीक है जो लोगों के बीच सामूहिक भावना, सामूहिक गति और संस्कृति की महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इस नृत्य की छाया में, झारखंड की विशेष संस्कृति का आदान-प्रदान है जो लोगों को एक साथ जोड़ता है और संस्कृति की अमूर्त प्रकटि में उत्तर देता है।
2. छऊ:
![chhau dance chhau dance of jharkhand](https://desiredpdf.com/wp-content/uploads/2023/10/chhau-dance.jpg)
छऊ नृत्य झारखंड की एक प्रमुख लोक नृत्य परंपरा है, जो संस्कृति, भावना और गति के साथ समृद्ध है। इस नृत्य में लोग संगीत, गीत और नृत्य के साथ जूझते हैं, जो इसे दर्शकों के दिलों में बैठाता है। छऊ नृत्य की विशेषता उसकी छाया और आंगने की नटरंगता में छुपी है, जिससे यह दर्शकों को आत्मा से छू जाता है।
छऊ नृत्य में गीत और संगीत की गहरी भावना छुपी होती है। यह नृत्य लोगों की आत्मा की गहराईयों तक पहुँचता है और उन्हें उत्साहित करता है। इसमें लोग अपनी भावनाओं को संगीत, गीत और नृत्य के माध्यम से अभिव्यक्त करते हैं, जिससे यह नृत्य दर्शकों को भी भावनात्मक रूप से प्रभावित करता है।
छऊ नृत्य झारखंड की संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा है जो लोगों की सामूहिक भावना, संवाद और संबंधों को प्रकट करता है। यह नृत्य भारतीय संस्कृति की अमूर्त प्रतीक है, जो संस्कृति के मूल्यों, शैली और विविधता को प्रकट करता है। छऊ नृत्य के माध्यम से, झारखंड की संस्कृति की विशेषता को समझने में मदद मिलती है और लोगों को उसके सांस्कृतिक धरोहर के प्रति सम्मान और प्रेम की भावना विकसित होती है।
3.पाइका नृत्य:
![paika2 paika dance of jharkhand](https://desiredpdf.com/wp-content/uploads/2023/10/paika2.jpg)
पाइका नागपुरी औपचारिक मार्शल नृत्य है। यह पुरुषों द्वारा किया जाता है। पुरुष घुंघरू पहनते हैं, तलवार और ढाल लेकर नृत्य करते हैं। संगीत वाद्ययंत्रों में नगारा, ढाक और शहनाई का प्रयोग किया जाता है। झारखण्ड के मुंडा आदिवासी भी इस नृत्य को करते हैं।
पाइका नृत्य झारखंड की संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है जो इस राज्य की जनजातियों, विशेषत: ‘संथाल’ जनजाति की संस्कृति का प्रतीक है। यह नृत्य विशेष रूप से जल, जमीन और प्राकृतिक आस-पास के जीवन को महत्व देने की संकेत देता है। पाइका नृत्य के प्रमुख आकर्षण में गायन, नृत्य, और नृत्यांग का सामंजस्य शामिल हैं, जिससे यह नृत्य दर्शकों को अपनी विशेषता से प्रभावित करता है।
4.डोमकच नृत्य:
![domkach dance domkach dance of jharkhand](https://desiredpdf.com/wp-content/uploads/2023/10/domkach-dance.jpg)
डोमकच नृत्य झारखंड की विशेष लोकनृत्य परंपरा में से एक है, जो खासतौर पर विवाह और खुशियों के अवसरों पर प्रस्तुत किया जाता है। इस नृत्य में लोग धार्मिक संगीत और गीत के साथ मिलकर आनंदमय नृत्य करते हैं, जिसमें उनकी खुशी और आत्मा की संवेदना व्यक्त होती है।
5.फगुआ
![fagua dance fagua dance of jharkhand](https://desiredpdf.com/wp-content/uploads/2023/10/fagua-dance.jpg)
फगुआ नृत्य झारखंड की खास लोकनृत्य परंपरा में से एक है। यह नृत्य विशेषतः फागुन महीने के शुरुआती दिनों में, होली के उत्सव के समय प्रस्तुत किया जाता है। इसमें लोग रंगों, संगीत और नृत्य का आनंद लेते हैं, जिससे यह नृत्य होली के उत्सव की खुशी और आत्मा की ऊर्जा को दर्शाता है।
फगुआ एक लोक नृत्य है जो फगुआ के त्योहार के दौरान पुरुषों और महिलाओं दोनों द्वारा किया जाता है। मंदार, ढोल और बंसी वाद्य यंत्रों का प्रयोग किया जाता है।
फगुआ नृत्य में सामूहिकता और संवाद की भावना छुपी है। इसमें लोग एक साथ मिलकर नृत्य करते हैं, जिससे उनकी आत्मा में खुशी और सामूहिक भावना का अद्वितीय अनुभव होता है।
6.फिरकल नृत्य
![firkal dance firkal dance of jharkhand](https://desiredpdf.com/wp-content/uploads/2023/10/firkal-dance.jpg)
फिरकल भूमिज जनजातियों का एक मार्शल आर्ट लोक-नृत्य है। फ़िरकल के मुख्य उपकरण तलवार, तीर, धनुष और ढाल हैं। यह झारखंड के पूर्वी सिंहभूम जिले में पाया जा सकता है।
7.पांता नाच
पांता नाच आदिवासी महिलाओं का एक सामूहिक नृत्य है, जो फसल के मौसम और त्योहार के दौरान मादल और नगारा जैसे वाद्य यंत्रों के साथ प्रदर्शित किया। इसमें महिलाएं समूह में नृत्य करती है और पुरुष वाद्य यंत्र बजाते हैं। यह नृत्य मुख्य तौर पर भूमिज, संथाल, मुंडा और हो जनजाति द्वारा किया जाता है। इसे मुंडारी नाच, भूमिज नाच या संतली नाच भी कहा जाता है।
पांता नृत्य में संगीत, गीत और नृत्य की भावनाओं की गहरी ऊँचाई होती है। यह नृत्य मुंडा समुदाय की आत्मा की ऊर्जा, खुशी और आनंद को प्रकट करता है। इसमें लोग अपनी परंपरागत गीतों के साथ नृत्य करते हैं, जिससे उनकी संस्कृति और विरासत को महत्वपूर्ण रूप से प्रकट किया जाता है।
झारखंड के ये विभिन्न नृत्य शैलियाँ इस राज्य की विविधता और संस्कृति को दर्शाती हैं। इन नृत्यों में समाहित रंगीनता, संगीत की मधुरता और आनंद की भावना हमें भावनात्मक रूप से संपन्न करती हैं। यहाँ की नृत्य शैलियाँ भारतीय संस्कृति की अमूर्त प्रकटि हैं जो हमें यह बताती हैं कि संगीत और नृत्य का यह आदान-प्रदान हमारे दिलों में कैसे बसा है।
झारखंड की कला ( Art and Craft of Jharkhand)
1.चित्रकला (Painting):
![painting jh painting of jharkhand](https://desiredpdf.com/wp-content/uploads/2023/10/painting-jh.jpg)
झारखंड की जनजातियाँ विभिन्न प्रकार की चित्रकला में माहिर हैं। वे प्राकृतिक रंगों का उपयोग करके अपनी कला में जीवंतता और रंगीनीता को जताते हैं।
2.शिल्पकला (Handicrafts):
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झारखंड की जनजातियाँ लकड़ी, बांस, बालू, मिट्टी, रेजिन, और खादी सामग्रियों से शिल्पकला उत्पन्न करती हैं। यहाँ की कला में आदिवासी रस्म, संस्कृति, और जीवनशैली की प्रकटि होती है।
3.खण्डन और बुनाई (Weaving and Embroidery):
![craft sharee in jharkhandi style](https://desiredpdf.com/wp-content/uploads/2023/10/craft.jpg)
झारखंड की जनजातियाँ पारंपरिक रूप से वस्त्र बनाती हैं, जिसमें स्थानीय रंगों और डिज़ाइन की शानदारता होती है। खासकर उनके लकड़ी के उत्पादन और कुछ खास प्रकार की साड़ियाँ प्रसिद्ध हैं।
4.लकड़ी की कला (Wooden Art):
![art of jharkhand art of jharkhand](https://desiredpdf.com/wp-content/uploads/2023/10/art-a.jpg)
झारखंड की जनजातियाँ लकड़ी की कला में भी निपुण हैं। वे उपयोगिता और सौंदर्य की भावना से अपने लकड़ी के उत्पादन में महिर हैं।
आत्म-संग्रह (Self-archiving)
झारखंड की जनजातियाँ अपनी प्राकृतिक संबोधना, आत्म-समर्पण, और संघर्ष के लिए प्रसिद्ध हैं। उनकी आत्म-संग्रह और समर्पणशीलता एक विशेषता है जो हमें प्रेरित करती है।
झारखंड की इस अनमोल धरोहर को समझने के लिए, हमें उनकी गहराईयों में जाना चाहिए। यह न केवल भारतीय संस्कृति का हिस्सा है, बल्कि हमें अपनी ज़मीन, अपने लोगों, और अपनी भूमि के प्रति समर्पित रहने का संकेत भी देता है। झारखंड के इस समृद्ध जनजाति धरोहर को समझना हमें हमारी असली पहचान से मिलाता है, जिसे हमें सम्मान देना चाहिए।
इसलिए, हम सभी को झारखंड के समृद्ध जनजाति धरोहर को समझने, मानने, और संरक्षण करने के लिए प्रेरित करते हैं। यह एक मानवीय जिम्मेदारी है जो हमें हमेशा याद दिलानी चाहिए।
झारखंड की जनजातियाँ अपनी अद्वितीय कला और शिल्पकला के माध्यम से समृद्ध भारतीय शिल्पकला की धरोहर को निभाती हैं। उनकी कला में विशेषज्ञता और विविधता का संदेश दुनिया भर में गूंजता है, जो भारतीय सांस्कृतिक धरोहर की गर्वशीलता को दर्शाता है।
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