विशिष्ट बालक उन बालकों को कहा जाता है जो अपनी क्षमताओं, योग्यताओं, व्यवहार आदि से अपनी आयु के अन्य बालकों से अलग होता है. ये भिन्नता इनकी उच्चयता या निम्नता के कारन भी हो सकती है. इस प्रकार के बालकों का विकास या तो इतना तीव्र या ज्यादा होता है की वे अन्य बालकों से आगे निकल जाते हैं। या इतना काम होता है की वे बालक अन्य बालकों से पिछड़ जाते हैं। DesiredPDF.com के इस ब्लॉग पोस्ट यानि “Special Children” B.Ed notes in Hindi free PDF में हम इन विशिष्ट बालकों के बारे में विस्तार से जानेंगे।
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“Special Children” B.Ed notes in Hindi free PDF
विशिष्ट बालक की परिभाषाएँ ( Definitions of a Special Child)
According to Crow and Crow ( क्रो & क्रो)
“विशेष प्रकार या विशिष्ट शब्द किसी ऐसे गुण या उस गुण को धारण करने वाले व्यक्ति के लिए उस समय प्रयोग में लाया जाता है जब व्यक्ति उस गुण विशेष को धरण करते हुए अन्य सामन्य व्यक्तियों से विशिष्ट ध्यान की मांग करे या उसे प्राप्त करे और साथ ही इससे उसके व्यव्हार की क्रियाएं तथा अनुक्रियाएं भी प्रभावित हो।”
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क्रो & क्रो:-
वह बालक जो मानसिक, शारीरिक, सामाजिक, आदि विशेषताओं में औसत से विशिष्ट हो और वह विशिष्टता इस स्तर की उसे अपनी विकास क्षमता के उच्च्तम सीमा तक पहुंचने के लिए विशेष प्रशिक्षण की आवश्यकता हो विशिष्ट बालक कहलाता है।
बॉकर के अनुसार:-
“विशिष्ट बालक वे होते हैं जो शारीरिक, मानसिक, संवेगात्न्मक व सामाजिक दृष्टि से सामान्य गुणों से इस सीमा तक विकसित होते हैं की उन्हें अपनी अधिकतम क्षमता के अनुसार स्वयं का विकास करने के लिए विशिष्ट शिक्षा की आवश्यकता होती है।”
क्रीक के अनुसार:-
विशिष्ट बालक वह है जो सामान्य या औसत बालक से मानसिक, शारीरिक तथा सामाजिक विशेषताओं में इतना अधिक भिन्न हैं की वह विद्यालय व्यवस्थाओं में संशोधन चाहता है जिससे वह अपनी अधिकतम क्षमता का विकास कर सके।
टेलफर्ड सोरे के अनुसार:-
“विशिष्ट आवश्यकता वाले बच्चों का अर्थ उन बच्चों से है जो सामान्य बच्चों से शारीरिक, मानसिक , सामाजिक विशेषताओं से इतना ज्यादा अलग होते हैं की उन्हें अपनी क्षमता के अधिकतम विकास के लिए विशेष सामाजिक तथा शैक्षिक सेवाओं की आवश्यकता पड़ती है। “
विशेष बच्चों के प्रकार ( Types of Special Children)
- प्रतिभाशाली बच्चे ( Gifted Children)
- पिछड़े बच्चे (Backward children)
- मानसिक रूप से ग्रसित / अपंग बच्चे (mentally challenged/disabled children)
- संवेगात्मक बच्चे (emotional children)
- समस्याग्रस्त बच्चे (problem children)
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प्रतिभाशाली बच्चे ( Gifted Children)
“प्रतिभाशाली बच्चा” एक ऐसा शब्द है जो उन बच्चों को संदर्भित करता है जिनमें सामान्य से अधिक बौद्धिक और कला संबंधित क्षमताएं होती हैं। इस शब्द का उपयोग उन बच्चों के लिए किया जाता है जो अपने आद्यात्मिक, बौद्धिक, और सामाजिक क्षेत्रों में आगे निकलते हैं।
प्रतिभाशाली बच्चों का मानविकि, सामाजिक, और भौतिक विकास अत्यंत विशेष होता है, और इनमें अद्वितीय पोटेंशियल होता है जो उन्हें आम बच्चों से अलग बनाता है। ये बच्चे आमतौर पर विज्ञान, कला, गणित, भाषा, या खेल में अपनी प्रवृत्ति दिखाते हैं और अक्सर अपने आद्यात्मिक संबंधों में भी उद्दीपना प्रदर्शित करते हैं।
इन बच्चों की शैली और तरीका अक्सर सामान्य से अलग होता है, और उन्हें अपनी आत्म-पहचान में समर्थता होती है। समय के साथ, इन बच्चों को सही मार्गदर्शन और समर्थन के साथ उनके पूरे पोटेंशियल को विकसित करने में मदद मिलती है।
इस प्रकार, प्रतिभाशाली बच्चे एक समृद्धि समृद्ध समाज की ओर कदम बढ़ाते हैं और अपने क्षेत्र में उच्चतम स्तर की उत्कृष्टता की दिशा में बढ़ते हैं, तथा इनका IQ 120-140 के आसपास होता है।
पिछड़े बच्चे (Backward children)
शिक्षा के क्षेत्र में, “पिछड़े बच्चे” शब्द उन बच्चों को सूचित करता है जो मानसिक, शैक्षिक, या सामाजिक विकास के क्षेत्र में अपने साथियों के साथ कदम से पीछे हो सकते हैं। इस विषय को संवेदनशीलता के साथ दृष्टिकोण से निगरानी करना महत्वपूर्ण है, जानते हैं कि प्रत्येक बच्चा अद्वितीय है, और उनके विकास को विभिन्न कारकों से प्रभावित हो सकता है।
पिछड़े रहने के कारण: कई कारक ऐसे हो सकते हैं जो एक बच्चे के विकास में पीछे जाने में योगदान कर सकते हैं। इनमें शिक्षा संबंधित विकलांगता, पर्यावरणीय कारक, सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि, शिक्षात्मक संसाधनों की कमी, या मानसिक और भावनात्मक समस्याएँ शामिल हो सकती हैं। पिछड़े बच्चे को प्रभावित करने वाले विशिष्ट कारकों की पहचान करना, प्रभावी उपायों की योजना बनाने के लिए महत्वपूर्ण है।
पिछड़ापन की पहचान के लक्षण: माता-पिता, शिक्षक, और देखभालकर्ता उन लक्षणों की पहचान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं जो पिछड़ापन की ओर संकेत कर सकते हैं। ये शिक्षात्मक संबंध, सामाजिक इंटरएक्शन में कठिनाई, या विकासात्मक मील के पत्थरों में विलम्ब के रूप में प्रकट हो सकते हैं। समय पर पहचान होना उन उपायों को लागू करने के लिए महत्वपूर्ण है जो बच्चे के विकास की समर्थन कर सकते हैं।
शिक्षात्मक हस्तक्षेप: पिछड़े बच्चों की आवश्यकताओं का पता लगाना अक्सर विशिष्ट शिक्षात्मक हस्तक्षेपों को शामिल करता है। व्यक्तिगत सीखने की योजनाएं, अतिरिक्त ट्यूटरिंग, और विशेष शिक्षण विधियाँ विकास के अंतर्निहित तार बांधने में सहायक हो सकती हैं। शिक्षकों, माता-पिताों, और समुदाय के साथ सहयोगी प्रयासों के माध्यम से पिछड़े बच्चों के विकास को समर्थन करने में यहम महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
मानसिक रूप से ग्रसित / अपंग बच्चे (mentally challenged/disabled children)
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मानसिक चुनौतीपूर्ण बच्चे, जिन्हें कभी-कभी विकलांग बच्चे भी कहा जाता है, विशेष चुनौतियों का सामना करते हैं जो उनके बौद्धिक और सामाजिक विकास में होती हैं। इन बच्चों को समर्थन और समझने की आवश्यकता है ताकि हम समाज में उन्हें समाहित कर सकें।
मानसिक चुनौतीपूर्णता के कारण: इन बच्चों की मानसिक चुनौतीपूर्णता कई कारणों से हो सकती है, जैसे कि जननांग विकार, जीवन की प्रारंभिक घड़ी में होने वाली समस्याएं, या ऊपरी श्वास नली संबंधित समस्याएं। इनमें से कुछ बच्चे विचारात्मक, भाषात्मक, या आद्यात्मिक क्षेत्रों में कमी का सामना कर सकते हैं, जिससे उनका सामाजिक और शैक्षिक विकास प्रभावित हो सकता है।
चुनौतीपूर्णता के संकेत: माता-पिता, शिक्षक, और अन्य पेशेवर संरचनाएं इन बच्चों के सामाजिक और बौद्धिक विकास में कठिनाई के संकेतों को पहचानने में मदद कर सकती हैं। इनमें शैक्षिक असमर्थता, सामाजिक असमर्थता, या बाह्य प्रभावों की वजह से बच्चे विकलांग हो सकते हैं। पहले ही इन संकेतों की पहचान विशेषज्ञों द्वारा आवश्यक है ताकि सही समर्थन दिया जा सके।
संवेगात्मक बालक
“संवेगात्मक बालक” का अर्थ है एक ऐसा छोटा बच्चा जो अपनी ऊर्जा और उत्साह से भरपूर होता है। इस शीर्षक के अंतर्गत, हम एक ऐसे बच्चे को संदर्भित कर रहे हैं जो अपने क्षेत्र में उत्कृष्टता की दिशा में अग्रसर हो रहा है और अपनी ऊर्जा, प्रेरणा, और कुशलता के साथ प्रमुख हो रहा है। इस शब्द का उपयोग उन बच्चों को विशेष रूप से किया जाता है जो अपने अनौपचारिक और औपचारिक शैक्षिक क्षेत्र में उत्कृष्टता प्रदर्शित कर रहे हैं।
समस्यात्मक बालक ( Problem Child)
समस्या संबंधित बच्चा” का अर्थ है एक ऐसा बच्चा जो सामाजिक, शैक्षिक, या आचारिक स्तर पर असामान्य विकारों, विशेषज्ञताओं, या आचार-व्यवहार समस्याओं का सामना कर रहा है। यह शब्द अक्सर उन बच्चों को संदर्भित करने के लिए इस्तेमाल होता है जिन्हें विशेष ध्यान, समर्थन और सहायता की आवश्यकता होती है। समस्या संबंधित बच्चों को सहारा देने के लिए सकारात्मक उत्तरदाताओं, शिक्षकों, और परिवारों के समर्थन की आवश्यकता होती है ताकि वे समाज में समर्थ और समाहित बन सकें।
विशेष आवश्यकताओं वाले बच्चों की पहचान (Identification of children with special needs)
“विशेष आवश्यकताओं वाले बच्चों की पहचान” का अर्थ है ऐसे बच्चों की पहचान करना जो असामान्य विकास की आवश्यकता प्रतिपन्न कर रहे हैं। इस प्रक्रिया में, स्वाभाविक और नियमित मापदंडों के माध्यम से बच्चों की विशेष आवश्यकताओं को पहचाना जाता है ताकि उन्हें उपयुक्त समर्थन और शिक्षा प्रदान की जा सके। इस प्रक्रिया में परिवार, शिक्षक, और स्वास्थ्य पेशेवरों की सहायता से बच्चों की आवश्यकताओं को समझा जाता है ताकि उन्हें समाज में समर्थ बनाया जा सके।
“विशेष आवश्यकताओं वाले बच्चों की पहचान” करने के लिए कई तरीके हो सकते हैं:
- आवलोकन और अध्ययन: बच्चे के विकास की पहली स्तिथि में, परिवार और शिक्षा के पेशेवरों को बच्चे के आवलोकन और अध्ययन करना चाहिए, ताकि कोई असामान्यता या विशेष आवश्यकता का संकेत मिल सके।
- मानव विकास के मापदंडों का उपयोग: बच्चे के शारीरिक, मानसिक, और सामाजिक विकास के मापदंडों का उपयोग करके उसकी सामान्यता और विशेषताएं मापी जा सकती हैं।
- सम्पर्क और अवलोकन: शिक्षा के पेशेवरों, चिकित्सकों, और परिवार से संपर्क करके बच्चे के विवादापूर्ण क्षेत्रों का विशेषज्ञ अवलोकन करना महत्वपूर्ण है।
- स्थिति निरीक्षण: शिक्षा के संदर्भ में बच्चे की विशेष आवश्यकताओं को समझने के लिए स्थानीय स्तर पर स्थिति निरीक्षण की जा सकती है।
- परिवार सहयोग: परिवार से बातचीत करके उनकी दृष्टि से बच्चे की विशेष आवश्यकताओं को समझना अत्यंत महत्वपूर्ण है।
डिस्लेक्सिया (Dyslexia)
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डिस्लेक्सिया एक विकार है जिससे व्यक्ति को पठन में समस्या होती है। इस नोट्स में, हम डिस्लेक्सिया के बारे में बात करेंगे और इसे समझने और समर्थित करने के लिए कुछ सुझाव प्रस्तुत करेंगे।
- डिस्लेक्सिया क्या है?
- डिस्लेक्सिया एक मानसिक रोग है जिसमें व्यक्ति को पठन में समस्या होती है, जिससे उन्हें शब्दों को सही ढंग से पहचानने और पठन को सही तरीके से समझने में कठिनाई होती है।
- डिस्लेक्सिया के लक्षण:
- शब्दों को सही ढंग से पठन में कठिनाई
- शब्दों को सही ढंग से लिखने में कठिनाई
- पठन के समय गलती करना और उच्च स्तर पर समझाने में कठिनाई
- डिस्लेक्सिया के कारण:
- आनुवांछिक गुण
- उत्तराधिकारी परिवार में इतिहास
- मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं
स्वलीनता (Autism)
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ऑटिज़्म एक मानसिक रोग है जिससे सामाजिक और आवर्ती संबंध में कठिनाई होती है। हम यहाँ ऑटिज़्म के बारे में बात करेंगे और इसे समझने और समर्थित करने के लिए कुछ सुझाव प्रस्तुत करेंगे।
- ऑटिज़्म क्या है?
- ऑटिज़्म एक विकार है जिससे सोशल इंटरएक्शन, भाषा, और सामाजिक इंटरेस्ट में कमी होती है। इससे प्रभावित व्यक्ति को सामाजिक संबंध बनाने और सांविदानिकता विकसित करने में कठिनाई हो सकती है।
- ऑटिज़्म के लक्षण:
- सामाजिक इंटरेस्ट में कमी
- भाषा विकास में देरी
- स्थितिक पुनरावलोकन और स्थितिक संबंध में कठिनाई
- ऑटिज़्म के कारण:
- आनुवांछिक गुण
- जीवनाधार और पर्यावरणीय कारक
- भारी तंतुवादी प्रभाव
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